हिंदी कठिनता निवारण-6

कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 6

अक्षरों पर चल रही चर्चा अभी ज़ारी है। इस सिलसिले में आज हम डड़ढ आदि पर नज़र डालेंगे।

पहले भी यह बात आई थी कि ड़’ और ढ़’ मुख्य वर्णमाला में न आकर बाद में जुड़ते हैं। पहली बात हम कहना चाहते हैं कि बिन्दी वाले ’ यानी ड़’, बिन्दी वाले ’ यानी ढ़’, ‘’, ‘’ और ’ से कोई शब्द शुरू ही नहीं होता। इसलिए शब्द की शुरूआत में ड़’ या ढ़’ लगाना ठीक नहीं है। बहुत सारे लोगलेखकअच्छे पढ़े-लिखे लोग भी यह ग़लती करते देखे जाते हैं। यह परंपरा ज़्यादा पुरानी नहीं लगतीयह नई परंपरा ही लगती हैजो कुछ दशक पुरानी हो सकती है। अंग्रेज़ी या यूरोपीय भाषाओं और संस्कृत के शब्दों में ड़ढ़ आते ही नहीं हैं। जैसे बैड़कामरेड़एड़ल्टएड़जस्टकार्ड़ आदि ग़लत हैंक्योंकि उच्चारण के लिहाज से इनमें ’ आता है, ‘ड़’ नहीं। आप कार्ड़’ का तो उच्चारण भी ठीक से नहीं कर पाएँगे। शुद्ध रूप बैडकामरेडएडल्टएडजस्टकार्ड हैं। र्’ (आधा ’) के बाद तो ड़’ या ढ़’ आते ही नहीं कभी। आप ’ बोलते हैंतो ड़’ लिखना और ड़’ बोलते हैं तो ’ लिखनादोनों ही ग़लत है। गुड (अंग्रेज़ी का अच्छा), गुर (तरीकाकौशलऔर गुड़ (गन्ने या चुकंदर से बनी चीज़जो मीठी होती हैका फर्क आप जानते हैं। आप अगर अंग्रेज़ी के सही उच्चारण देखेंतो आप पाएंगे कि वहाँ ड़’ है ही नहीं। ढ़’ की तो बात छोड़ ही देंक्योंकि वहाँ ’ ही नहीं है। ड़’ और ढ़’ के लिए अंग्रेज़ी में क्रमशः ‘d’ और ‘rh’ लिखा जाता है।

सवाल ड़-ड और ढ-ढ़ के सही प्रयोग का है। यह आसान है। बस इन बातों का ध्यान रखें। ड़’ और ढ़’ कभी संयुक्ताक्षर में नहीं आते (या कहें कि ड़’ या ढ़’ न तो किसी आधे अक्षर के बाद आते हैंन इनका आधे रूप का प्रयोग होता है), जैसे हड्ड़ी या गड्ढ़ादोनों ग़लत हैं। इनके शुद्ध रूप हड्डी और गड्ढा हैं। ढ़ेरढ़क्कनढ़ोलढ़कोसलाढ़ोनाढ़ाबाड़ब्बाड़गरड़ंकाड़ायरी आदि सारे शब्द अशुद्ध हैं। इन सबमें पहला अक्षर ’ या ’ होना चाहिएक्योंकि ड़’ या ढ़’ से हिन्दी पट्टी में कोई शब्द शुरू ही नहीं होता। सही रूप ढेरढोलढक्कनढाबाढकोसलाडब्बाडंकाडायरी आदि हैं।

एक आसान-सा नियम आप यह भी मान सकते हैं कि अनुस्वार के बाद ड़ या ढ़ का प्रयोग नहीं कर सकतेजैसे कांडदंडठंढ आदि को कांड़दंड़ठंढ़ नहीं लिख सकते। अनुस्वार के बाद ड़’ या ढ़’ का उच्चारण करना भी असंभव-सा है। हाँचंद्रबिन्दु के बाद ड़’ या ढ़’ का प्रयोग कर सकते हैं। संस्कृत पढते-लिखते समय भी हम ड़’ या ढ़’ का प्रयोग नहीं करते। इनके उच्चारण पर हम चर्चा कर चुके हैं। यहाँ ड़’ और ढ़’ कब-कब नहीं लिखतेयह बताया गया है। फिर इनका प्रयोग करेंगे कहाँशब्द के बीच में या अंत में इनका प्रयोग कर सकते हैंवह भी बिना चिंता किए। बीच या अंत के प्रयोग में कुछ शब्दों को अपवादस्वरूप छोड़ देंतो यह छूट काफी हद तक है कि हम ’ या ढ़’ दोनों में से किसी का प्रयोग कर सकते हैं। ’ या ड़’ के मामले में यह छूट नहीं है। एक वाक्य में कहें तो जहाँ आप उच्चारण ’ का करते हैंवहाँ ’ लिखेंजहाँ ड़’ का करते हैंवहाँ ड़’ लिखें। ’ बोलते होंतो ’ लिखें और ढ़’ बोलते हों तो ढ़’ लिखें। जैसे झंडाभाड़ागाड़ीगार्डकीड़ागुड्डीगड्ढाआढ़तगड़बड़ आदि उदाहरण के तौर पर आप देख सकते हैं। कई शब्दों के दो रूप प्रचलित हैंखासकर उन शब्दों के जिनमें ’ और ढ़’ बीच में या अंत में आए। पढना-पढ़नागढ-गढ़चढाई-चढ़ाईबाढ-बाढ़गाढी-गाढ़ी आदि ऐसे कुछ उदाहरण हैं। दोनों रूपों वाले शब्द प्रायः क्रियाओं से जुड़े होते हैं। हाँउच्चारण की बात करेंतो पढना और पढ़ना में अंतर है। पढना को padhna और पढ़ना को parhna से समझ सकते हैं। ढाँढसढिंढोराढिंढोरचीनिढाल आदि कुछ शब्द ऐसे हैंजिनमें ’ बीच में आता है। इनमें ’ की जगह ढ़’ का प्रयोग ठीक नहीं माना जाएगा।

मर्डरहार्डबोर्डडोमेस्टिकडस्टरएडमिशनडर्टीडांसडैशडलएडवोकेटवर्डसंस्कृत में गरुडफ़्रांसीसी में मैडम आदि कुछ शब्दों में ’ का प्रयोग हुआ है। खास बात यह है कि उच्चारण तो लोग सही करते हैंलेकिन लिखते ग़लत हैं। संस्कृत में गरुड और क्रीडा लिखते हैंजबकि हिन्दी में गरुड़ और क्रीड़ा। घबराना और घबड़ाना दोनों रूप सही माने जाते हैंयह भी बताते चलें।

अस्मुरारी नंदन मिश्र जी ने बताया कि नियम यह है कि दो स्वरों के बीच में आने पर उच्चारण ड़’ और ढ़’ होता हैसंयुक्त होने पर यानी किसी भी एक तरफ स्वर के नहीं होने पर ’ और ’ होता है। बूढ़ा-बुड्ढागुड्डीगुड़िया!

यह बहुत हद तक सही व्याख्या प्रस्तुत करता हैलेकिन यूरोपीय और संस्कृत शब्दों पर लागू नहीं होता। निढालनिडरअडिग आदि में भी यह नियम काम नहीं करता। यह कहा जा सकता है कि ध्यान देने पर ही ठीक-ठीक प्रयोग करने की आदत डाली जा सकती है। ढ़’ का प्रयोग वहीं करें जहाँ र्ह (र् +का उच्चारण होता हो।

ड़’ वाली कुछ क्रियाएँ अकड़नालड़नासड़नाझगड़नापड़नाताड़नाफाड़नागाड़नाछोड़नाजोड़नाझाड़नानिथाड़नानिचोड़नातोड़नाफोड़नाछिड़नाछिड़कनाछेड़नाबड़बड़ानाखड़ा होनाउखड़नातड़पनाफड़फड़ाना आदि हैं। क्रियाओं में ’ की जगह ड़’ ही मिलता है अक्सर। शायद ही कुछ क्रियाओं में ’ हो। ढ़’ वाली कुछ क्रियाएँ काढ़नागढ़नाचढ़नाचिढ़नापढ़नाबढ़नामढ़ना आदि हैं।

जब एक साथ ’ और ड़’ आते हैंतो पहले ’, फिर ड़’ होता हैऐसा अधिकांश स्थितियों में होता है। करोड़रोड़ाअरोड़ारोड़ीमरोड़गरुड़ आदि उदाहरण के तौर पर देखे जा सकते हैं। 

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