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सफलता का मंत्र


 


सफलता का मंत्र : कई बार व्यक्ति जिस लक्ष्य को पाने के लिए इधर उधर भटक रहा होता है। उसे पाने का रास्ता और मौके उसके आस-पास ही छिपे होते हैं। इन अवसरों की अनदेखी के कारण व्यक्ति की कामयाबी का रास्ता लंबा और कठिन होने लगता है। हालांकि ऐसी गलती कोई भी व्यक्ति जानबूझकर नहीं करता है, यह तो बस नजरिए का फेर होता है। यही बात एकर्स ऑफ डायमंड की कहानी भी बताती है, जो कि एक सत्य घटना पर आधारित है।

यह कहानी एक किसान के बारे में है जो अफ्रीका में रहता था। उसने दूसरे किसानों कि ऐसी कहानियों के बारे में सुना जिन्होंने हीरों कि खान खोज कर लाखों कमाए थे। हीरे अफ्रीका महाद्वीप में पहले से ही प्रचुर मात्रा में खोजे जा चूके थे। यह किसान लाखों मूल्य के हीरों के विचार से इतना उत्साहित हुआ कि उसने अपना खेत ही बेच दिया। हीरे की खान की तलाश में यहां-वहां भटकने लगा। सारा अफ्रीका घूमने के बावजूद उसे कुछ नहीं मिला। समय गुजरता गया लेकिन हीरे कि तलाश पूरी न हो सकी। अंतत: वह टूट गया और नदी में कूदकर आत्मह्त्या कर ली।

इस दौरान जिस व्यक्ति ने उस किसान के खेत खरीदे थे, वह एक दिन खेत के पास से गुजर रहा था। वह व्यक्ति खेत के साथ बहती एक छोटी सी नदी को पार कर रहा था। अचानक नदी के नीचे से नीले और लाल रंग का उज्जवल प्रकाश चमका। सुबह के प्रकाश की किरण एक पत्थर पर पड़ी और वह इन्द्रधनुष की तरह चमक उठा। वह व्यक्ति नीचे झुका और पत्थर को उठा लिया और उसे घर ले आया। यह एक अच्छे आकार का पत्थर था। उसने सोचा की यह पत्थर अंगीठी के ऊपर के डेकोरेशन पीस की तरह अच्छा लगेगा और उसने इसे रख दिया।

कई हफ्ते बाद एक मेहमान उसके घर आया और उसने इस पत्थर को देखा और बड़ी नजदीकी से इसका मुआयना किया। उसने उस किसान से पूछा की उसे इस पत्थर का असली मूल्य पता है। किसान ने कहा नहीं। यात्री ने उसे बताया कि उसने अब तक का सबसे बड़ा हीरा पाया है। किसान को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ। उसने किसान को बताया कि उस छोटी सी नदी के नीचे ओर भी बहुत सारे ऐसे हीरे होंगे। चलो, मैं तुम्हें दिखाता हूं। वे वहां गए और वहां से कुछ नमूने एकत्रित कर उन्हें आगे जांच के लिए भेज दिया।

मेहमान की बात सच निकली, यह पत्थर हीरे ही थे। उन्होंने पाया कि यह खेत हीरे से ढका हुआ है. यह खेत अब तक ज्ञात अफ्रीका और विश्व में खोजी गई सबसे कीमती, उपजाऊ और महंगी खान थी। इसे अफ्रीका महाद्वीप कि सबसे कीमती हीरे कि खान करार दिया गया। इसका नाम था किंबरले डायमंड माइन्स था। इसे पहले किसान ने बेच दिया था ताकि वह हीरे कि खान खोज सके। 

कहानी से सीख

  • जब तक किसान ने इस खेत को नहीं बेचा था वह हीरों की खदान पर बैठा था। अवसर हमारे कदमों के नीचे ही होते हैं इसके लिए हमें कहीं भटकने कि आवश्यकता नहीं। जरूरत है तो केवल इसे पहचानने कि। 
  • हम प्रत्येक लोग इस पल अपने अवसरों की खान पर खड़े हैं। अगर हम बुद्धिमानी और धैर्य से अपने काम को करें तो हम उस लक्ष्य को पा लेंगे जिसे हम ढूंढ रहे हैं।

सफलता का मन्त्र

         


       स्वामी विवेकानंद का बहुत लोकप्रिय कथन है 'उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक अपने लक्ष्य को न प्राप्त कर लो'। इस बात से प्रेरणा लेने की जगह कई बार लोग एक-दो बार असफल होने पर अपने लक्ष्य को पाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों को छोड़कर ही बैठ जाते हैं। इसके विपरीत अगर हम अपनी कोशिशें जारी रखें तो हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। यही बात इस कहानी में भी बताई गई है।

      एक प्रयोग में एक रिसर्च बायोलॉजिस्ट ने एक बड़े से टैंक में शार्क मछली को रखा और फिर उसी टैंक में छोटी मछलियों को भी डाल दिया। शार्क ने छोटी मछलियों को खाना शुरू कर दिया और कुछ ही घंटों में सभी छोटी मछलियां शार्क का आहार बन चुकी थीं। हर बार यही होता। बायोलॉजिस्ट ने अब अपने प्रयोग में थोड़ा परिवर्तन किया और एक मजबूत फाइबर स्लाइड को उस टैंक में डाल कर टैंक को दो भागों में बांट दिया। एक भाग में शार्क और दूसरे भाग में छोटी मछलियों को रखा। आदतन शार्क ने छोटी मछलियों पर हमला करना चाहा तो वे उस स्लाइड से टकरा गईं। शार्क ने प्रयास नहीं छोड़ा और हमला करती रही।

      यह प्रयोग कुछ हफ्तों तक जारी रहा। शार्क ने हमला करना जारी रखा, लेकिन उसके प्रयास में लगातार कमी आती गई। फिर एक समय ऐसा आया कि शार्क ने यह मान लिया कि वह छोटी मछलियों को नहीं खा सकती। उसने प्रयास करना ही छोड़ दिया। बायोलॉजिस्ट ने अब फाइबर की स्लाइड को वहां से हटा दिया। लेकिन यह क्या, शार्क को तो इससे कोई फर्क हीं नहीं पड़ा। उसने यह मान लिया था कि एक दीवार है, एक अवरोध है, जिसे वह पार नहीं कर सकती। उसने प्रयास करना ही छोड़ दिया अब छोटी मछलियां आराम से उसी टैंक में तैर रहीं थी और उसे शार्क से कोई खतरा भी नहीं था।

इस कहानी से मिलती है सीख-

         हममें से कई लोगों के साथ अक्सर ऐसा होता है। हम प्रयास करना ही छोड़ देते हैं। कोई रुकावट नहीं होने के बावजूद हमें ऐसा लगता है कि अवरोध है, जिसे पार नहीं किया जा सकता। यकीन मानिए, अगर किसी चीज को पाने के लिए हम ईमानदारी से लगातार प्रयास जारी रखते हैं, तो वह हमें जरूर मिलती है।

 


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