कोरोना काल में शिक्षा के माध्यम से मानवीय जीवन के पक्षों को जानने और उनके विकास की अभिलाषा
भारत के 7वें अमीर व्यक्ति
विजय केडिया 35 हजार से 500 करोड़ का सफर
विजय केडिया – सफलता की कहानी–
35000 से 500 करोड़ रुपये
मार्केट मास्टर विजय केडिया मुंबई में रहनेवाले एक सफल निवेशक और ट्रेडर है। अति उत्कृष्ट मैनेजमेंट के लिए 2016 में उनको डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है। वह उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो शेयर शेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट में अपना करियर बनाना चाहते है।
विजय केडिया का जन्म स्टॉक ब्रोकरों के परिवार में कोलकाता में हुआ था। उनके पिता स्टॉक ब्रोकर थे। उनको बचपन से ही मार्केट में रूचि थी परंतु 1978 मे अपनें पिता के निधन के बाद परिवार का गुजारा करने के लिए वे मजबूरी में स्टॉक ब्रोकिंग के पारिवारिक व्यवसाय में लग गए और यहाँ से ही उनके शेयर मार्केट के करियर की शुरुआत हुई।
शुरुआत में कुछ साल विजय केडिया ने शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करके अच्छा प्रॉफिट कमाया पर कभी-कभी उनका एक गलत ट्रेड उनकी कमाई हुई सारी पूंजी लेके जाता था। एक बार तो उनको हिंदुस्तान मोटर्स में दो-चार दिन में ही 70000 रुपये का नुकसान हुआ था, तब उनके पास उतने पैसे भी नहीं थे। तो उनकी माँ ने उन्हें अपने गहने बेचने के लिए कहा था पर अच्छी किस्मतकी वजह से उनका नुकसान जल्दी रिकवर हुआ और उन्हें गहने बेचने की जरुरत नहीं पड़ी। इस वजह से उनको ख़राब महसुस हुआ और कुछ समय के लिए उन्होंने ट्रेडिंग करना बंद कर दिया और वह चाय का मटेरियल सप्लाई करने का व्यवसाय करने लगे। पर वह भी अच्छी तरह से न चलने के कारण उन्होंने ट्रेडिंग करना वापस शुरू किया। उन्होंने ट्रेडिंग से जो सबसे बड़ा सबक सीखा, वह स्टॉप लॉस का उपयोग करना है। वे कहते है, उचित रिस्क रिवॉर्ड और स्टॉप लॉस महत्वपूर्ण है, स्टॉप लॉस के बिना एक ट्रेडर बाजार में जीवित नहीं रह सकता है। वह कई ट्रेडों में पैसा कमा सकता है, लेकिन अगर वह स्टॉप लॉस का उपयोग नहीं करता है, तो एक ही ट्रेड में सारा पैसा खो सकता है।
इस तरह शुरुआत के 10 साल ट्रेडिंग करने के बाद विजय केडिया को महसुस हुआ कि इतने साल ट्रेडिंग करने के बाद भी उन्हें कुछ भी प्रॉफिट नहीं हुआ, तो उन्होने ट्रेडिंग छोड़ने का फैसला किया और इन्वेस्टमेंट की तरफ अपना ध्यान बढ़ाया। उन्होंने सक्सेसफुल निवेशक के बारे में पढ़ा और निवेश करने का फैसला किया। उन्होंने कंपनी के फंडामेंटल को सीखना शुरू कर दिया।
1989 में वह कोलकाता छोड़कर मुंबई आए और किराए के घर पर रहने लगे। उनके पास निवेश करने के लिए सिर्फ 35,000 रुपये थे। उन्होंने खुद से रिसर्च करके पंजाब ट्रैक्टर्स स्टॉक चुना और उस स्टॉक में सभी 35,000 का निवेश किया। 3 साल में स्टॉक 6 गुना बढ़ गया और उनका 35,000 के 2,10 000 रुपये हो गये। उन्होंने पंजाब ट्रैक्टर्स से जो कुछ पैसा बनाया, वह सब उन्होंने 1992 में एसीसी में Rs.300 की कीमत पर निवेश किया। यह स्टॉक ने पहले वर्ष कुछ बढ़ा नहीं पर दूसरे वर्ष हर्षद मेहता बुल रन के कारण यह 10 गुना बढ़कर Rs.3000 तक पहुँच गया। उन्होंने एसीसी के सारे शेयर बेच कर उन पैसे से मुंबई में एक अपार्टमेंट खरीदा।
एजिस लॉजिस्टिक्स शेयर विजय केडिया ने Rs.20 में ख़रीदे, अपने करियर में पहली बार उन्होंने किसी कंपनी में 5% हिस्सेदारी खरीदी थी। शेयर अगले एक साल तक ज्यादा नहीं चला। हालांकि, बाद में बाजार को स्टॉक की क्षमता का एहसास हुआ और कुछ ही समय में शेयर 300 रुपये तक पहुंच गया, जिससे विजय केडिया को 15x का रिटर्न मिला। इस तरह 2004-05 के दौरान, उन्होंने कई मल्टी-बैगर शेयरों को चुना जिससे उन्हें अगले 10-12 वर्षों में 1,000% से अधिक का रिटर्न मिला। इन कुछ शेयरों में अतुल ऑटो, एजिस लॉजिस्टिक्स और सेरा सेनेटरी वेयर थे। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई कंपनियों में सफल निवेश किया।
विजय केडिया का मानना है कि एक निवेशक में तीन गुण होने चाहिए।
1. ज्ञान: गुणवत्ता के शेयरों का पता लगाने के लिए ज्ञान। इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए पढ़ना जरूरी है, और पढ़ने का कोई शॉर्टकट नहीं है। यदि किसी को पढ़ने की आदत नहीं है, तो वह एक सफल निवेशक नहीं हो सकता है।
2. साहस: इक्विटी जोखिमपूर्ण संपत्ति हैं जहां आप अपनी पूरी पूंजी खो सकते हैं। हमेशा पैसा खोने का डर रहता है। यह डर लोगों को बाजार में निवेश करने से रोकता है और जब वे निवेश करते हैं तो वे कम राशि में निवेश करते हैं। वह कहते हैं कि जब आपको निवेश करने में कुछ अच्छा लगता है, तो आपको इसमें एक सार्थक राशि का निवेश करना चाहिए।
3. धैर्य: धैर्य एक महत्वपूर्ण गुण है जो एक निवेशक के पास होना चाहिए। स्टॉक्स को प्रदर्शन करने में कई साल लग सकते हैं। जब स्टॉक सालों तक चुप रहे तो आपको धैर्य नहीं खोना चाहिए। विजय कहते हैं कि निवेशकों के पास कम से कम 5 साल के लिए स्टॉक रखने का धैर्य होना चाहिए।
विजय केडिया “केडिया सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड” के मालिक है। वह कई लिस्टेड कंपनियों में प्रमोटर भी है। जानकारों के हिसाब से आज उनका पोर्टफोलिओ का साइज 500 करोड़ से भी ज्यादा है।
कार्य में नीरसता भगाने के बेहतर तरीके
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भारत तेरे टुकड़े होंगे? इंशा अल्ला इंशा अल्ला
भारत तेरे टुकड़े होंगे?
"Fuck Hinduism" से कोई दंगा नहीं भड़का ।
"सब बुत उठवाए जाएंगे बस नाम रहेगा अल्लाह का" से कोई दंगा नहीं भड़का ।
"Free Kashmeer" से कोई दंगा नहीं भड़का ।
"मोदी और शाह को कुत्ते की मौत मारेंगे" से कोई दंगा नहीं भड़का ।
"भारत का चिकन नैक काट दो" से कोई दंगा नहीं भड़का ।
"इनसे मेरा क्या रिश्ता?इंशा अल्ला इंशा अल्ला" कोई दंगा नहीं भड़का।
"भारत में हर जगह सड़कें अवरुद्ध कर दो ताकि यह अंदर ही अंदर आर्थिक रूप से खत्म हो जाये" से दंगा नहीं भड़का ।
"हर जगह शाहीन बाग बना दो" से दंगा नहीं भड़का ।
"हिन्दू तेरी कब्र खुदेगी" से दंगा नहीं भड़का । ये जाहील ये भी नहीं जानते की हिन्दूओ की कब्र नही खुदती है।
"सभी मुसलमान अपनी ख़ातूनों और बच्चों सहित घर से बाहर निकलकर जाम लगा दो" से दंगा नहीं भड़का ।
"15 minute के लिए पुलिस हटा दो फिर देखना" से दंगा नहीं भड़का ।
"15 करोड़ 100 करोड़ पर भारी होंगे" से दंगा नहीं भड़का ।
"भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह" से दंगा नहीं भड़का ।
इनसे मेरा क्या रिश्ता?इंशा अल्ला इंशा अल्ला" कोई दंगा नही भड़का।
"केजरीवाल द्वारा हनुमान जी को आग लगाते दिखाकर , स्वास्तिक को झाड़ू से मारते हुए दिखाने पर" दंगा नहीं भड़का ।
सोनिया, लालू, भालू, मुलायम, ममता बानो, कांग्रेसी,वामी,आपी,कामी के दिन रात हिंदुओं के गाली देने पर दंगा नहीं भड़का ।
बस जैसे ही कपिल मिश्रा ने कहा कि हर जगह शाहीन बाग नहीं बनाने देंगे और तीन दिन में सड़क खाली करो क्योंकि मुझे अपने देश से प्यार है" तुरंत ऐसा दंगा भड़का कि सब ऐसे पगला गए कि कपिल मिश्रा को तुरंत दंगा भड़काने वाला बोलने लगे ।
सबने आपा खो दिया । हर तरफ से पत्तलकार , विष्ठायुक्त हिन्दू द्रोही बुद्धिजीवी , वामपंथी अपनी धोती खोलकर नाचने लगे ।
अब आप मुझे बतायें कि उपरोक्त बातों से क्या साबित हुआ ??
कौन सहिष्णु है ? कौन असहिष्णु है ???
सब दिन भर भौंकते रहें तो कुछ नहीं , बस हिन्दू उन भौंकते कुत्ते को बस इतना बोल दे कि अरे शांत हो जा , तेरे भौंकने से शोर हो रहा है ।
सम्पूर्ण विश्व में धर्म के नाम पर इस कौम के जाहिलों ने रक्त बहाया है। कितनी कौमो और संस्कृतियों का नाश कर दिया इन जाहिलों ने।
इतना दोगलापन कहाँ से ??? कहाँ से ???
और बेहूदे जाहिल लोग ज्ञान दे रहे है कहाँ गए वाम पंथी काहिल।
तुम यहीं के हो?
महात्मा बुद्ध
कौन सी आदत आपको जीवनभर लाभ देगी
कौन सी आदतें आपको जीवनभर लाभ देंगी?
नियंत्रित निराशावाद।
मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ।
एक बार की बात है, एक छोटा सा गाँव था, जिसका एक रास्ता घने जंगल में जाता था। उस मार्ग पर कभी कोई नहीं गया था। और कुछ अतीत के लेखन के आधार पर, लोगों में यह धारणा थी कि उस जंगल में एक गुफा है जिसमे एक पुराने जमींदार का खजाना है।
एक दिन, जमींदार के परिवार का बड़ा बेटा यह देखने के लिए जंगल में जाना चाहता था कि यह बात सच है या नहीं।
उसके पिता ने उसे रोका और कहा कि, "मत जाओ। उस जंगल में बाघ हैं। वे तुम्हें मार देंगे।"
बेटे ने जवाब में कहा - "इतना नकारात्मक मत बनो। आप जैसे निराशावादियों के कारण ही अब तक कोई भी उस खजाने को ला नहीं सका। मुझे मत रोको। मृत्यु कभी भी एक बहादुर व्यक्ति के निकट नहीं आएगी।"
वह जंगल में घुस गया।
लेकिन वह कभी वापस नहीं आया।
बाघों ने उसका शिकार कर उसे टुकड़ों में चीर दिया।
बड़े बेटे-बाप का संवाद छोटे बेटे ने भी सुना था और उसने अपने पिता की बात मानी। वह जंगल में नहीं गया। लोगों ने उसका मजाक उड़ाया कि वह अपने भाई की तरह बहादुर नहीं है। इस तिरस्कार के बावजूद छोटा बेटा अपनी बात से नहीं हिला।
वर्षों बाद, अपनी सभी संचित बचत से छोटे बेटे ने किराए पर एक गाड़ी ली तथा बन्दूक और सिग्नल फ्लेयर्स (प्रकाश का संकेत देने वाली वस्तु) के साथ कुछ शिकारियों को काम पर रखा और जंगल के अंदर चला गया।
उन्होंने बाघों की जनसंख्या के बीच उस गुफा के ठिकाने का पता लगाया।
वह वापस आया और शाम तक बैठकर उस खजाने को, बाघों से आहत हुए बिना, जंगल से बाहर लाने की एक सफल योजना बनाई।
कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है -
हर आशावाद अच्छा नहीं है।
हर निराशावाद बुरा नहीं है।
आशावाद और जोखिम लेने को अक्सर ही हम सराहते हैं और सुरक्षित खेलने को निंदनीय माना जाता है।
यह सिर्फ सुनने में अच्छा लगता है, हमेशा सही नहीं होता है।
कभी-कभी चीजों के नकारात्मक पहलू को देखने से आप सबसे बुरे की तैयारी करके चलते हैं, जबकि केवल सकारात्मक पहलू को देखने से आप सुस्त हो सकते हैं जो कि आपकी तैयारी को अधूरा रखता है।
निराशावाद आपको एक यथार्थवादी तस्वीर देता है जबकि आशावाद आपको अंधा कर देता है।
यह तब और खतरनाक हो जाता है जब इसमें कुछ ऐसी बातें आती हैं जैसे यौन शिक्षा पर खुली चर्चा, बच्चों को बाल शोषण के बारे में पढ़ाना, समय पर स्वास्थ्य की जाँच कराना, बीमा और निवेश पर ध्यान देना आदि। ऐसी बातों में हमेशा आशावादी रहना - कि सब ठीक है, इन बातों की क्या जरुरत है, मुझे क्या होना है - खतरनाक साबित हो सकता है।
लोग चुपके से ऐसी बातों को कालीन के नीचे सरका देते हैं और इस मिथ्या में रहते हैं कि उनके साथ कुछ बुरा नहीं हो सकता। सबकुछ अच्छा होगा। और जब चीजें बदलती हैं, तो उन्हें एहसास होता है कि उन्हें पहले ही उन चीज़ों के बारे में सोचना चाहिए था और उचित उपाय करना चाहिए था। लेकिन तब तक, बहुत देर हो चुकी होती है।
इसलिए, एक संतुलित यथार्थवादी सोच रखने के लिए आप आशावादी और निराशावादी दोनों ही विचारों पर संयमित तरीके से मनन करें।
आशावादी ने हवाई जहाज का आविष्कार किया।
निराशावादी ने पैराशूट का आविष्कार किया।
आशावादी और निराशावादी दोनों ने ही समाज में योगदान दिया।
- जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
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