हिंदी कठिनता निवारण-4

कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 4

पिछले भाग में हम उच्चारण पर चर्चा कर रहे थे। पहले हिन्दी के संयुक्ताक्षरों पर विचार करते हैं। फिर उर्दूजो स्वतंत्र रूप में कोई भाषा ही नहीं हैके अक्षरों पर भी आएंगे। 

क्षत्रज्ञस्र और श्र पर विचार करते हैं।

क्ष = क् + त्र = त् + ज्ञ = ज् + स्र = स् + श्र = श् + 

क्ष’ का उच्चारण अक्छ’ करना ग़लत है। इसके उच्चारण में पहले क्’, फिर ’ आता है। जैसे क्षेत्र’ को छेत्र’ न कहकर क्-षेत्र’ कहेंगे। क्ष’ का प्रचलित उच्चारण क्छ’ है। त्र’ में कोई समस्या नहीं है। ज्ञ’ का उच्चारण ग्य’, ‘ग्यँ’, ‘द्न’, ‘द्यँ’, ‘ज्यँ’, ‘ज्न’ आदि बोलकर किया जाता है। महाराष्ट्र में विद्नान या विद्याँन कहा जाता है विज्ञान को। आर्यसमाजी ज्यँ’ कहते हैंलेकिन सामान्य उच्चारण ग्यँ’ है। इसका शुद्ध उच्चारण समय के साथ छूटता चला गया। सामान्यतया इसका उच्चारण ग्य’ ही हो रहा है। चाहें तो हम इसका उच्चारण ज्यँ’ जैसा कर सकते हैंजो ज्’ और ’ के सम्मिलित रूप के करीब है। मिस्र’ देश का नाम हैजिसमें ’ के साथ ’ हैजबकि मिश्र’ जातिसूचक शब्द हैजहाँ ’ और ’ हैं। अंग्रेज़ी में क्ष’ के लिए ‘ksh’, ‘त्र’ के ‘tr’ लिए और ज्ञ’ के लिए ‘gy’, ‘jn’, ‘jyn’ आदि का प्रयोग हम सब करते हैं। ज्ञ’ के ‘jn’ का प्रयोग ठीक रहेगा। क्ष’ के लिए ‘x’ भी लिखा जाता है।

अब हम ’ और ’ पर आते हैं। ’ को किसी व्यंजन में लगाने पर व्यंजन के नीचे रोमन अक्षर सी’ (c) जैसा संकेत दिखता है। इसका उच्चारण ’ के रूप में मध्यप्रदेश और राजस्थान आदि में हो रहा है। ग्रह और गृह दोनों को ग्रह पढ़ना नागरी और हिन्दी की वैज्ञानिकता के विरुद्ध है। गृह को ग्रिह जैसा पढा जाता है और यह ठीक भी हैक्योंकि ’ का उच्चारण भी खत्म सा हो चला है। संस्कृति और दृष्टि को संस्क्रति और द्रष्टि न पढ या लिख कर संस्कृति और दृष्टि लिखा जाए और संस्क्रिति जैसा पढा जाय। गृह घर है और ग्रह खगोलीय पिंडइस अंतर को बना और बचा कर रखना ठीक होगा। ऋकार को महाराष्ट्र और उड़ीसा में रु’ भी पढने की परंपरा हैजैसे - कृति को क्रुति। हरियाणा के एक लेखक की किताब में हमने ऋकार का पूरा लोप देखा है। पूरी किताब में कहीं ऋकार नहीं लगा हैजैसे कृति को कतिसृष्टि को सष्टि। इसे भी उचित नहीं मान सकते। अंग्रेज़ी में तो प्रायः संस्कृत’ को ‘Sanskrut’ लिखते देखा जा सकता है। ’ और रि’ में उच्चारण की दृष्टि से कोई भेद नहीं है। हम रि या ri की ही अनुशंसा करेंगे। यह ज़रूरी बात है कि ध्वनियों में अनेक परिवर्तन हो गए हैंफिर भी लिपि में परंपरा का पालन किया जा रहा है।

स्कूलस्त्रीस्थानश्लोकस्मृतिस्थापनास्कंदस्पष्टस्मार्टस्काई और स्टूडेंट को क्रमशः इस्कूलइस्त्रीअस्थानअश्लोकइस्मृतिअस्थापनाअस्कंदअस्पष्टएस्मार्टएस्काई और एस्टुडेंट पढने का प्रचलन बिहार में तो खूब है। ऐसे शब्दों का ग़लत उच्चारण करने वाले को श्यामस्वामीस्वातिक्याख्वाबत्याग आदि बोलकर देखना चाहिए कि वे सीधे आधे अक्षर का उच्चारण तो करते ही हैं। क्या को अक्या और स्वामी को इस्वामी तो कहते नहीं हैं। ध्यान देने पर वे सही उच्चारण करने में कठिनाई महसूस नहीं करेंगे।

उर्दू में पाँच या छह प्रकार के ’ की परंपरा है। वहाँ सबके उच्चारण में सूक्ष्म अंतर होता होगा और यह सिखाया जाता होगा। यहाँ हम नुक्ते वाले पाँच अक्षरों की बात करेंगे। क़’ का उच्चारण ’ और ’ के बीच होता है। जीभ को थोड़ा ऊपर ले जाकर हल्का सा मोड़ेंतो नुक्ते वाले अक्षर ठीक-ठीक उच्चारित हो सकते हैं। ख़ग़ज़ और फ़ में ह्ह्ह्ह... जैसी आवाज़ निकलती है। अंग्रेज़ी में ज़ और फ़ के उच्चारण मौज़ूद हैं। full को फुल, soft को सॉफ़्ट, film को फ़िल्म, bridge को ब्रिज़, freeze को फ़्रीज़ कहते हैं। jump को जम्प कहेंगेन कि ज़ंप। कई लोग एलकेजी को एलकेज़ी कहते मिलते हैंयह ग़लत उच्चारण है। अंग्रेज़ी में ’ के लिए ‘k’, ‘क़’ के लिए ‘q’, ‘’ के लिए ‘ph’, ‘फ़’ के लिए ‘f’, ‘’ के लिए ‘j’ और ज़’ के लिए ‘z’ इस्तेमाल करते हैं। हालांकि अंग्रेज़ी के शब्दों में क़ख़ग़ उच्चारित नहीं होते हैं।

संस्कृत में शब्द के अंत में अकार होने पर ’ का उच्चारण करते हैंलेकिन हिन्दीभोजपुरीउर्दू आदि में यह परंपरा सामान्य रूप से नहीं है। जैसे हिन्दी में आकाश को आकाश् ही पढ़ते हैंजबकि संस्कृत में एव को एव्’ नहीं एव’ (अकार के साथपढ़ते हैं। संस्कृतभोजपुरीहिन्दी आदि में एक अवग्रह चिन्ह (ऽ) भी हैजो s की तरह लिखा जाता है।

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