पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार

पुनरुक्ति प्रकाश 

वीप्साअलंकार या पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार-

   घबराहट, आश्चर्य, घृणा या रोचकता किसी शब्द को काव्य में दोहराना ही वीप्सा या पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। 

उदाहरण 1. 

    मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।

उदाहरण 2. 

    विहग-विहग
    फिर चहक उठे ये पुंज-पुंज
    कल- कूजित कर उर का निकुंज
    चिर सुभग-सुभग।

उदाहरण 3. 

   जुगन- जुगन समझावत हारा , कहा न मानत कोई रे । 

उदाहरण 4. 

  लहरों के घूँघट से झुक-झुक , दशमी  शशि निज तिर्यक मुख , 
  दिखलाता , मुग्धा- सा रुक-रुक । 

उदाहरण 5. 

बढ़त पल-पल घटत छिन-छिन चलत न लगे बार।  

उदाहरण 6 . 

ठुमुकि- ठुमुकि रुनझुन धुनि-सुनि ,
कनक अजिर शिशु डोलत।  

शिक्षक का वेतन

  शिक्षक को ज्यादा वेतन क्यों होता है ?

   पिकासो (Picasso) स्पेन में जन्मे एक अति प्रसिद्ध चित्रकार थे। उनकी पेंटिंग्स दुनिया भर में करोड़ों और अरबों रुपयों में बिका करती थीं...!! 

   एक दिन रास्ते से गुजरते समय एक महिला की नजर पिकासो पर पड़ी और संयोग से उस महिला ने उन्हें पहचान लिया। वह दौड़ी हुई उनके पास आयी और बोली, 'सर, मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ। आपकी पेंटिंग्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद हैं। क्या आप मेरे लिए भी एक पेंटिंग बनायेंगे...!!?'

   पिकासो हँसते हुए बोले, 'मैं यहाँ खाली हाथ हूँ। मेरे पास कुछ भी नहीं है। मैं फिर कभी आपके लिए एक पेंटिंग बना दूंगा..!!'

   लेकिन उस महिला ने भी जिद पकड़ ली, 'मुझे अभी एक पेंटिंग बना दीजिये, बाद में पता नहीं मैं आपसे मिल पाऊँगी या नहीं।'

  पिकासो ने जेब से एक छोटा सा कागज निकाला और अपने पेन से उसपर कुछ बनाने लगे। करीब 10 मिनट के अंदर पिकासो ने पेंटिंग बनायीं और कहा, 'यह लो, यह मिलियन डॉलर की पेंटिंग है।'

  महिला को बड़ा अजीब लगा कि पिकासो ने बस 10 मिनट में जल्दी से एक काम चलाऊ पेंटिंग बना दी है और बोल रहे हैं कि मिलियन डॉलर की पेंटिग है। उसने वह पेंटिंग ली और बिना कुछ बोले अपने घर आ गयी..!!

  उसे लगा पिकासो उसको पागल बना रहा है। वह बाजार गयी और उस पेंटिंग की कीमत पता की। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह पेंटिंग वास्तव में मिलियन डॉलर की थी...!!

  वह भागी-भागी एक बार फिर पिकासो के पास आयी और बोली, 'सर आपने बिलकुल सही कहा था। यह तो मिलियन डॉलर की ही पेंटिंग है।'

  पिकासो ने हँसते हुए कहा,'मैंने तो आपसे पहले ही कहा था।' 

  वह महिला बोली, 'सर, आप मुझे अपनी स्टूडेंट बना लीजिये और मुझे भी पेंटिंग बनानी सिखा दीजिये। जैसे आपने 10 मिनट में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना दी, वैसे ही मैं भी 10 मिनट में न सही, 10 घंटे में ही अच्छी पेंटिंग बना सकूँ, मुझे ऐसा बना दीजिये।'_

पिकासो ने हँसते हुए कहा, _'यह पेंटिंग, जो मैंने 10 मिनट में बनायी है_ ...
इसे सीखने में मुझे 30 साल का समय लगा है।

मैंने अपने जीवन के 30 साल सीखने में दिए हैं ..!!

_तुम भी दो, सीख जाओगी..!!

_वह महिला अवाक् और निःशब्द होकर पिकासो को देखती रह गयी...!!_

_एक  अध्यापक को 40 मिनट के लेक्चर की जो तनख्वाह दी जाती है ।_

_वो इस कहानी को बयां करती है। एक अध्यापक के एक वाक्य के पीछे उसकी सालों की मेहनत होती है ।_
_समाज समझता है कि बस बोलना ही तो होता है अध्यापक को मुफ्त की नौकरी है!!!_
_"ये मत भूलिए कि आज विश्व मे जितने भी सम्मानित पदों पर लोग आसीन हैं, उनमें से अधिकांश किसी न किसी अध्यापक की वजह से ही पहुँचे हैं."_
_"और हाँ, अगर आप भी अध्यापक की तनख्वाह को मुफ़्त की ही समझते हैं तो एक बार 40 मिनट का प्रभावशाली और अर्थपूर्ण लेक्चर देकर दिखा दीजीये, आपको अपनी क्षमता का एहसास हो जाएगा._"
_Dedicated To All Teachers.👍🏼_

🙏🙏🙏

इलेक्टोरल बॉन्ड

चुनावी बांड(इलेक्टोरल बॉन्ड) पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग से पूछा- ये चंदा किसका है

     सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड की व्यवस्था खत्म करने को लेकर दी गई एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्‍स (एडीआर) की याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी राजनीतिक दलों को आदेश दिया है कि वे इस बांड के जरिये हासिल किए गए चंदे का विवरण सीलबंद लिफाफे में निर्वाचन आयोग को 30 मई तक सौंपें। इसी के साथ चुनावी चंदे की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने को लेकर चुनावी बांड की वर्तमान व्यवस्था में भी अपारदर्शिता का मामला तूल पकड़ चुका है।

चूंकि राजनीतिक दल यह बताने के लिए बाध्य नहीं कि उन्हें किसने चुनावी बांड दिया? निर्वाचन आयोग और साथ ही चुनाव प्रक्रिया साफ-सुथरी बनाने के लिए सक्रिय संगठनों की मांग है कि चुनावी बांड खरीदने वाले का नाम सार्वजनिक किया जाए ताकि यह पता चल सके कि कहीं किसी ने किसी फायदे के एवज में तो चुनावी बांड के जरिये चंदा नहीं दिया? नि:संदेह चुनावी बांड के जरिये चंदा देने वालों की गोपनीयता बनाए रखने के पक्ष में यह एक तर्क तो है कि उन्हें वे राजनीतिक दल परेशान कर सकते हैं जिन्हें चंदा नहीं मिला, लेकिन यह आशंका दूर की जानी भी जरूरी है कि कहीं किसी लाभ-लोभ के फेर में तो चुनावी चंदा नहीं दिया जा रहा?

यह सही है कि बिना धन के राजनीतिक दलों का संचालन संभव नहीं है। छोटे-बड़े राजनीतिक दल चुनावों के दौरान पैसा पानी की तरह बहाते हैं। अगर चुनावी चंदे की पारदर्शी व्यवस्था नहीं बनती तो राजनीति के कालेधन से संचालित होने की आशंका को दूर नहीं किया जा सकता। राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता का अभाव किसी भी लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा सकता है। ऐसे में किसी स्वस्थ लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के आय-व्यय सहित पूरी पारदर्शी कार्यप्रणाली की जरूरत आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।

चुनाव में धन का खेल
चुनाव में लोग समाजसेवा के तथाकथित मकसद से उतरते हैं। सत्ता में आकर लोगों के कल्याण के लिए बेहतर नीतियों और योजनाओं का लोग सृजन कर सकें, राजनीति का रुख करने के पीछे राजनेता यही तर्क दे सकते हैं। अगर इसे सही माना जाए तो उनका आकलन भी जनकल्याण के पैमाने पर ही किया जाएगा। यानी जिसने इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया है उसके जीतकर आने में कोई संशय नहीं होना चाहिए। असलियत में ऐसा होता नहीं है। राजनीति में आकर काम करने वालों को अंगुलियों पर गिना जा सकता है। ऐसे में 534 लोगों को विजयश्री दिलाने के लिए अन्य संसाधनों का सहारा लेना पड़ता है। इन्हीं में से एक है धन।

सत्ता और साधन
सत्ता सचमुच बड़ी चीज होती है। सत्ता के आगे सब नतमस्तक तो दिखते हैं, उसे खुश करने के लिए पैर के अंगूठे पर भी खड़े होते दिखते हैं। सत्ता प्रसन्न होगी तभी वे ‘वरदान’ मांग सकेंगे। अब ये ‘वरदान’ निजी और कारोबारी समेत तमाम रूपों में हो सकता है। चुनावी चंदों को दिए जाने की प्रवृत्ति बताती है कि जिस दल की जब सरकार रहती है तो उसे मिलने वाले चंदे का ग्राफ ऊपर रहता है। विपक्ष में बैठे दलों को कमतर आंका जाता है। बाकी तो जनता जनार्दन है ही, वह सब जानती भी है।

नकदी की रिकॉर्ड जब्ती
चुनावों के दौरान सियासत से जुड़े हर क्षेत्र में धन का अंधाधुंध इस्तेमाल किया जाता है। मतदाताओं को नकदी के रूप में देने के लिए या फिर अन्य किसी रूप में। हर साल चुनावी मौसम में चुनाव आयोग बेनामी नकदी की भारी मात्रा में जब्ती करती है। इस बार इसका चलन कुछ ज्यादा ही दिख रहा है। पिछले दस अप्रैल तक 2519 करोड़ रुपये की नकदी व अन्य चीजें जब्त की जा चुकी हैं।

इनमें 655 करोड़ रुपये की नकदी भी है। शेष शराब, कीमती धातुएं, मुफ्त के उपहार आदि हैं। 1105 करोड़ रुपये के ड्रग्स और नशे से जुड़ी चीजें हैं। पिछले चुनाव यानी 2014 के लोकसभा चुनाव के इसी अवधि में हुई जब्ती 1200 करोड़ की यह दोगुना से अधिक है। धन के इस खेल में राजनीतिक दलों को मिलने वाले बेतहाशा चुनावी चंदों की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है।

क्या कहती है रिपोर्ट
पार्टियों की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 में कांग्रेस ने चंदे से कुल 199 करोड़ रुपये जुटाए जबकि इसी साल भाजपा के खाते में 1027 करोड़ रुपये आए। सत्ताधारी दल और विपक्षी दल के चंदे में यह असमानता पिछले 14 साल के शीर्ष पर है। 2005-06 में तत्कालीन सत्ताधारी दल कांग्रेस को भाजपा से 3.25 गुना ज्यादा चंदा मिला था। चंदे के इस अनुपात को भाजपा ने पहली बार 2016- 17 में बदला जब उसे कांग्रेस से 4.5 गुना अधिक चंदा मिला। 2017-18 में कांग्रेस से भाजपा के चंदे में 5.1 गुना बढ़ोतरी हुई।

जियो बहादुर खद्दरधारी

जियो बहादुर खद्दरधारी

जिओ बहादुर खद्दर धारी।
करौ देश से खूब गद्दारी।।
हम सब बी ए, एम ए पास।
होइ रिटाएर्, छीली घास।।
पांच साल तक लूटेव देश।
धार धार बहुरुपिया भेष।।
चलगै मील, लगाओ भट्टा।
वाह रे अनपढ़ उल्लू के पट्ठा।।
गाड़ी बँगला खाना पीना
दवा इलाज सबै सरकारी।।
  जिओ बहादुर खद्दर धारी।
करौ देश से खूब गद्दारी।। ।।

पैतीस चालीस साल खपावा।
पढ़ लिख के नौकरी मा आवा।।
बीबी बच्चे घर परिवार।
रस्ता देखें हर इतवार।।
कतउ पोलियो कताऊ चुनाव।।
जाय न पायी अपने गाँव।।
सरकारी सेवक का समझौ,
बिलकुल गदहा केर सवारी।।
।।जिओ बहादुर खद्दर धारी।
करौ देश से खूब गद्दारी।।

इकौ दिन का ताज लहाओ,।
तो जीवन भर पेंशन पायो।।
सांठ साल तक चुसेव खून।
रोटी कपड़ा तेल और नून।।
हमरी पूंजी तुम्हरा खेल।
जुआ शेयर मा देखी रेल।।
नई पेंसन पद्धति वाली,
प्रान् बनायो बंटाधारी।।
जिओ बहादुर खद्दर धारी।
करौ देश से खूब गद्दारी।। 

बहुत कियो सबका गुमराह।
ढूंढ न पाइहौ अबकी राह।।
ओनाइस वाला निकट चुनाव।
सर पर धरकै भगि हौ पाँव।।
गिनती करबै वोट डराइबै।
तब आपन औकात दिखइबै।।
का दम सरकारी सेवक मा।
तबै याद आइहै महतारी।।
   जिओ बहादुर खद्दर धारी।
करौ देश से खूब गद्दारी।।

रचनाकार-
नेताओं की दोहरी नीति से पीड़ित समस्त
पेंशन विहीन्
कर्मचारी

शोक प्रस्ताव लेखन कैसे लिखे



आज दिनांक 24/04/2023 को श्री शिवदान सिंह इण्टर कालेज, इगलास, अलीगढ़ में डॉ संजय सिंह (प्रधानाचार्य) श्री लालबहादुर शास्त्री इण्टर कालेज, इगलास, अलीगढ़ की माताजी स्वर्गीय श्रीमती राजबाला देवी जी के  निधन पर शोक-सभा का आयोजन किया गया। विद्यालय परिवार उनके निधन पर शोक व्यक्त करता है और परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता है कि दिवगंत आत्मा को चिरशांति प्रदान करें और शोक संतृप्त परिवार को असीम दु:ख की बेला में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करें।

                         ओम शांति


           विद्यालय शोकाकुल परिवार

         श्री शिवदान सिंह इण्टर कालेज,इगलास

                                        अलीगढ़




प्रापक 

लोकेंद्र सिंह एवं समस्त परिवार

आज दिनांक13/04/2022 को श्री शिवदान सिंह इण्टर कालेज, इगलास, अलीगढ़ में  विद्यालय के अध्यापक लोकेन्द्र सिंह जी की माता जी के  निधन पर शोक-सभा का आयोजन किया गया। विद्यालय परिवार उनके निधन पर शोक व्यक्त करता है और परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता है कि दिवगंत आत्मा को चिरशांति प्रदान करें और आप को तथा आपके परिवार को असीम दुख की बेला में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करें।
                         ओम शांति

                     विद्यालय शोकाकुल परिवार
         श्री शिवदान सिंह इण्टर कालेज,इगलास
                                        अलीगढ़





शोक संदेश
ब्रह्म  सत्य्यं जगत ,अलीगढ़



    शिक्षकों के मसीहा, महापुरुष, परोपकारी, पुरोधा और ज्ञान के सागर परम् श्रद्धेय माननीय ओमप्रकाश शर्मा जी के आकस्मिक निधन पर आज दिनांक 18 जनवरी 2021 को विद्यालय में शोक सभा का आयोजन किया गया। जिसमे समस्त शिक्षकों ने माननीय शर्माजी की चित्र पर पुष्पांजली अर्पित की तथा मौन रहकर दिवगंत आत्मा की शांति हेतु परमपिता परमात्मा से  प्रार्थना की  दिवगंत आत्मा को चिर शांति प्रदान करते हुए परम पिता परमेश्वर अपने चरणों में स्थान प्रदान करें। संघ तथा शर्मा जी के परिवार को असीम दुख की बेला में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करें।
समस्त शिक्षक और  शिक्षिकाओं ने शर्मा जी के निधन से हुए अपूर्णीय क्षति पर हृदय की गहराइयों से शोक व्यक्त करते हैं।

ओम शांति

विद्यालय शोकाकुल परिवार

श्री शिवदान सिंह इंटर कॉलेज

इगलास अलीगढ़

प्रापक :         

       

           जिसको भेजना है 
            एवम श्री सत्यपाल सिंह एवं समस्त
        
          आज दिनांक03/04/2019 को श्री शिवदान सिंह इण्टर कालेज, इगलास, अलीगढ़ में  विद्यालय प्रबन्ध समिति के पूर्व अध्यक्ष एवं आपके पिता स्वर्गीय श्री मलखान सिंह जी के निधन पर शोक-सभा का आयोजन किया गया। विद्यालय परिवार स्व0 श्री मलखान सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करता है और परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता है कि दिवगंत आत्मा को चिरशांति प्रदान करें और आप को तथा आपके परिवार को असीम दुख की बेला में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करें।
                         ओम शांति

                               विद्यालय शोकाकुल परिवार
                  श्री शिवदान सिंह इण्टर कालेज,इगलास
                                        अलीगढ़

(2)  प्रापक का नाम एवं समस्त परिवार

बड़े दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि विद्यालय में कार्यरत विद्यालय परिवार के / लिपिक/ परिचारक श्री अमित सिंह का आकस्मिक निधन दिनांक_-----+++--- को हो जाने के कारण कॉलेज  में एक शोक सभा का आयोजन किया गया। जिसमें परमपिता परमेश्वर

सांसदों का निंदनीय कृत्य

      हाल ही में लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों के एलान हुआ था, जिसके बाद सभी पार्टियां अपने-अपने चुनाव प्रचार में लग गई है। इसी बीच आज हम आपको बताते हैं कि देश में करोड़पति सांसदों की संख्या हर दिन बढ़ती ही जा रही है और इस लिस्ट में सबसे ज्यादा करोड़पति सांसद बीजेपी से है।



एडीआर रिपोर्ट में हुआ खुलासा


हाल ही मे एडीआर ( ADR ) की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसके बाद यह साफ हो गया है कि इस समय देश में 521 सांसदों में से 430 सांसद करोड़पति हैं। ADR के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार इस लिस्ट में सबसे ज्यादा बीजेपी ( BJP ) के सांसद शामिल हैं। इसमें बीजेपी के 267 में से 227 सांसद शामिल हैं। वहीं, अगर हम कांग्रेस के सांसदों की बात करें तो 45 सासंदो में से 29 सांसद करोड़पति हैं।



इतने करोड़पति हैं बीजेपी के सांसद


देश में मोदी सरकार का कार्यकाल खल्म होने में कुछ ही महीनों का समय बाकी रह गया है और जल्द ही लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसी बीच हमने सांसदों की संपत्ति के बारे में पता लगाया, जिसमें खुलासा हुआ कि कांग्रेस के हर 5 में से 4 सांसद करोड़पति हैं। वहीं, अगर बीजेपी की बात करें तो 13 में से 11 सांसद करोड़पति हैं। इसके अलावा AIDMK के 37 सांसदों में से 22 सांसद करोड़पति हैं।

32 सासंदों की संपत्ति 50 करोड़ से भी ज्यादा है


मल्टी-टास्किंग व्यक्तित्व का निर्माण

      बहु कार्यण अर्थात मल्टी-टास्किंग आधुनिक शब्दावली है जिसका सामान्य अर्थ है एकल कम्प्यूटर प्रोसेसर द्वारा  एक से अधिक प्रोग्राम या कार्य का एक साथ निष्पादन। अब बात आती है   मानव मल्टी-टास्किंग  क्या है मानव मली-टास्किंग एक ही समय में एक से अधिक कार्य या गतिविधयां निष्पादित करने के लिए एक स्पष्ट मानवीय क्षमता से है। इसका सबसे सुुुडर उड़ााहरण है विधाााल की समय सारणी

    आज के दौर में यह मल्टी-टास्किंग शब्द मानव व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है।मल्टी-टास्किंग को ले कर आज हम सब के मस्तिष्क में एक प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या हमें अपने व्यक्तित्व को मल्टी-टास्किंग बनाना चाहिए? या एक समय मे एक ही कार्य करना चाहिए?
         वर्तमान समय मे मानवीय जीवन की आवश्यकताए अधिक हैऔर समय कम ।पुराने समय में जीवन की रफ्तार धीमी थी और व्यक्ति अपने कार्यो को आराम से पूरा करते थे।उस समय बच्चों को शिक्षा दी जाती थी  "एकै साधै सब सधै,सब साधे सब जाय" और  "दो नाव की सवारी करना टाँग फाड़ कर मरना"  उस समय मल्टी-टास्किंग की जरूरत नहीं थी। इसी लिए उन्होंने इस कार्य शैली को नही अपनाया।
            वर्तमान समय में सब कुछ बदल चुका है।नई पीढ़ी के पास सीमित समय में अनेक कार्य है जिनकी अपनी समय सीमा है।उसी समय सीमा में उनको पूर्ण करना है ताकि वह अपनी पीढ़ी की श्रेष्ठता को सिद्ध कर सके।इसी कारण छोटी सी उम्र में उनके अंदर मल्टी-टास्किंग की क्षमता सहजता के साथ विकसित होकर उनके व्यक्तित्व को बहुआयामी स्वरूप प्रदान कर सके।
      मनोचिकित्सक एडवर्ड एम तथा हॉलोवेल ने मल्टीटास्किंग को "पौराणिक गतिविधि के रूप में वर्णन करने के लिए माने जाते हैं जिसमें इन लोगों का मानना ​​है कि वे एक साथ दो या दो से अधिक कार्य एक साथ प्रभावी रूप से कर सकते हैं।"
     
दूसरों ने विशिष्ट डोमेन में मल्टीटास्किंग पर शोध किया है, जैसे कि सीखना। मेयर और मोरेनो  ने मल्टीमीडिया लर्निंग में संज्ञानात्मक भार की घटना का अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि मल्टीटास्किंग में संलग्न रहते हुए नई जानकारी सीखना मुश्किल नहीं तो कठिन जरूर है। Junco और Cotten ने जांच की कि मल्टीटास्किंग अकादमिक सफलता को कैसे प्रभावित करती है और पाया कि जो छात्र मल्टीटास्किंग के उच्च स्तर पर लगे हुए थे,उन्होंने अपने शैक्षणिक कार्य के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों की सूचना नहीं दी।
     शैक्षणिक प्रदर्शन पर मल्टीटास्किंग के प्रभावों के बारे में हाल ही के एक अध्ययन में पाया गया कि अध्ययन करते समय फेसबुक और टेक्स्ट मैसेजिंग का उपयोग छात्र ग्रेड से नकारात्मक रूप से संबंधित था, जबकि इनमें ऑनलाइन खोज और ईमेलिंग नहीं थे।
      मल्टीटास्किंग करते समय व्यक्ति का दिमाग़ पूरी तरह से ध्यान केंद्रित नहीं कर पता है और उस कार्य को पूरा करने में निर्धारित समय से अधिक समय लगता हैं और गलतियां पूर्वनिर्धारित हैं। जब किसी व्यक्ति के द्वारा एक समय में कई कार्यों को पूरा करने का प्रयास किया जाता हैं, तो  त्रुटियां तेजी से बढ़ जाती हैं, और यह अधिक समय लेता है - अक्सर समय को दोगुना या उससे अधिक कर देता है।  मेयर और डेविड कीरस के एक अध्ययन में पाया गया कि  मल्टीटास्किंग लोग न केवल प्रत्येक कार्य को कम उपयुक्त ढंग से करते हैं, बल्कि प्रक्रिया में समय गंवाते हैं।
        नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के संज्ञानात्मक तंत्रिका विज्ञान खंड के प्रमुख, जॉर्डन ग्राफमैन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, "मस्तिष्क जटिल है और कार्यों का असंख्य प्रदर्शन कर सकता है, यह अच्छी तरह से मल्टीटास्क नहीं कर सकता है।"
     वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के एक मनोवैज्ञानिक रेने मैरोस द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में पता चला है कि एक बार में कई कार्यों को करने के लिए कहा जाने पर मस्तिष्क "प्रतिक्रिया चयन अड़चन" प्रदर्शित करता है। मस्तिष्क को यह तय करना होगा कि कौन सी गतिविधि सबसे महत्वपूर्ण है, जिससे अधिक समय लगेगा।
     कुछ शोध बताते हैं कि मानव मस्तिष्क को मल्टीटास्क के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता ।हालांकि, अध्ययन से यह भी पता चलता है कि व्यापक प्रशिक्षण के बाद भी मस्तिष्क एक समय में कई कार्य करने में असमर्थ होता है।यह अध्ययन आगे इंगित करता है कि, जबकि मस्तिष्क प्रसंस्करण में निपुण हो सकता है और कुछ सूचनाओं पर प्रतिक्रिया कर सकता है, यह वास्तव में मल्टीटास्क नहीं हो सकता है।

          लोगों में जानकारी को बनाए रखने की एक सीमित क्षमता होती है, जो जानकारी की मात्रा बढ़ने पर बिगड़ जाती है। इस कारण से, लोग इसे और अधिक यादगार बनाने के लिए जानकारी में परिवर्तन करते हैं, जैसे कि दस अंकों वाले फोन नंबर को तीन छोटे समूहों में अलग करना या वर्णमाला को तीन से पांच अक्षरों के सेट में विभाजित करना। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पूर्व मनोवैज्ञानिक, जॉर्ज मिलर का मानना ​​है कि मानव मस्तिष्क की क्षमता केंद्रों की सीमा "संख्या सात, प्लस या माइनस दो" के आसपास है। उदाहरण  के लिए दो या तीन नंबर आसानी से दोहराए जाते हैं, पंद्रह नंबर अधिक कठिन हो जाते हैं। व्यक्ति, औसतन, सात को सही ढंग से दोहराता है।
    मल्टी-टास्किंग के प्रयोगशाला-आधारित अध्ययनों से संकेत मिलता है कि कार्यों के बीच किसी एक को छोड़ने के लिए एक प्रेरणा उस कार्य पर खर्च किए गए समय को बढ़ाना है जो सबसे अधिक पुरस्कार (पेन्ने, डुग्गन एंड नेथ, 2007) का उत्पादन करता है। यह पुरस्कार एक समग्र कार्य लक्ष्य की दिशा में प्रगति कर सकता है, या यह बस एक अधिक दिलचस्प या मजेदार गतिविधि को आगे बढ़ाने का अवसर हो सकता है। पायने, डुग्गन और नेथ (2007) ने पाया कि लक्ष्य को छोड़ने के फैसले या तो वर्तमान कार्य द्वारा प्रदान किए गए पुरस्कार या कार्य को छोड़ने के लिए एक उपयुक्त अवसर की उपलब्धता को दर्शाते हैं।
  मल्टी-टास्किंग एक गुण है जिसे पैदा किया जा सकता है लेकिन निम्नलिखित बातों का अनुसरण करके :-
 
1-  प्राथमिकता निर्धारित करना:-
         मल्टी-टास्किंग व्यक्तित्व पैदा करने के लिए यह जरूरी है कि व्यक्ति अपने जरूरी कार्यो की सूची प्राथमिकता के आधार पर तय करे ताकि सभी कार्य समय पर पूर्ण हो सके।
2-  समय-सीमा :-
          प्रत्येक कार्य के लिए एक समय सीमा निर्धारित  कर ताकि एक काम पर अधिक समय व्यय कर दूसरे को नज़र अंदाज़ न कर दे। मल्टी-टास्किंग के लिए समय प्रबन्धन एक अनिवार्य शर्त है।

3-केंद्रित होना :-   
         जिस प्रकार दो नावों की सवारी हो या,दो हाथों से 3 गेंदों को संतुलित कर पाना कठिन होता है।इस लिए यह जरूरी है कि प्राथमिकता तय करते हुए मुख्य कार्य पर केंद्रित हो और दिमाग़ को उसी कार्य के अनुरूप मुख्यरूप से प्रशिक्षित करें और अतिरिक्त समय में अन्य कार्य पर केंद्रित हो।
4-एक से दूसरे में जाना :-
        यदि आपके काम में एक साथ कई सारे कार्यो को  नियमित रूप से करने की ज़रूरत होती है तो अपने मस्तिष्क को उन कार्यो के साथ तालमेल बिठाने के लिए खुद को प्रशिक्षित करें. अध्ययन बताते हैं कि एक सीमा तक यह कर पाना संभव है. “जब तक कि आप कोई ऐसा कार्य न कर रहे हों, जिसमें अपना 100 प्रतिशत ध्यान लगाना हो तो एक सीमा तक यह कर पाना सम्भव होता है. हमारी सलाह है कि आप अपने मस्तिष्क को एक काम से दूसरे की ओर जाने के लिए प्रशिक्षित करना शुरू करें. इसे करने का एक तरीक़ा है कि आप एक ही समय में तीन अलग-अलग किताबें पढ़ें।

4-  जरूरी (urgent )महत्वपूर्ण ( important) में अंतर स्पष्ट कर:-


        कार्यो को जरूरी और महत्वपूर्ण के हिसाब से श्रेणीबद्ध करते हुए करे।

  मल्टी-टास्किंग के दुष्परिणाम
1-असावधानी
       एक अध्ययन के अनुसार ड्राइविंग करते समय सेलफोन का उपयोग दुर्घटना होने की संभावना को 4 गुना बढ़ा देता है।
2-उत्पादकता को कम करती है

  लुसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक प्रो.एमिली इलियट इस तथ्य पर जोर देती है कि किसी भी तरह की मल्टी-टास्किंग उत्पादकता को कम करती हैऔर त्रुटियों की दर बढ़ाती है,इस प्रकार अनावश्यक निराशा उत्पन्न करती है।  मल्टीटास्किंग के गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। कई अध्ययनों में यह बात साबित की जा चुकी है कि मल्टीटास्किंग कार्यकुशलता को प्रभावित करती है, काम का दबाव बढ़ता है और तनाव भी उत्पन्न होता है। यहां तक कि हमेशा मल्टीटास्किंग होना किसी व्यक्ति के इंटैलिजेंस क्योशेंट (आईक्यू) को कम कर देता है। वर्ष 2005 में एक आईटी कंपनी में कार्यस्थल व्यवहार पर अध्ययन किया गया। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के कंप्यूटर साइंस के इंफॉरमेटिक्स विभाग के प्रोफेसर ग्लोरिया मार्क द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार बीच में छोड़े हुए काम पर दोबारा फोकस बनाने में 25 मिनट का समय लगता है। वर्ष 2008 में बिजनेस कोच डवे क्रैनशॉ की प्रकाशित पुस्तक "द मिथ ऑफ मल्टीटास्किंग" के अनुसार, ‘एक साथ सब काम करने का मतलब है किसी भी काम का पूरा नहीं होना।’ स्टैनफोर्ड के अनुसार शोधों से पता चलता है कि "सिंगल-टास्किंग मल्टी-टास्किंग की तुलना में अधिक प्रभावी और उत्पादक है।" अब ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि कार्यस्थल पर हमें कई काम करने होते हैं। सभी को पूरा करने के लिए अलग-अलग जरूरते होती हैं, जटिलता का स्तर होता है और आपको अलग-अलग समय देना जरूरी होता है। ऐसे में ऑफिस में आप कैसे एक समय में कई काम कर सकते हैं?
    लेकिन नये अध्ययन कहते हैं कि आमयबी चाहिए तो एक सोच पर ठहर कर न बैठे।आउट ऑफ बॉक्स आइडिया अक्सर तभी जन्म लेते जब सोच में भटकाव होता है।
    कई वैज्ञानिक अन्य चीजों पर काम करते करते किसी दूसरी चीज से जुड़े  और नया आविष्कार कर बैठे। मनोवैज्ञानिक मानते है कि जब हम किजी एक सोच पर काम   करते है तो काम लम्बा खिंचता है और सन्तोषजनक नही होता।इसे मनोविज्ञान की भाषा में "कांग्नेटिव फिक्सेशन" कहते है। हाँगकाँग विश्विद्यालय के प्रोसेसर उतेन स्यू ने इस पर काफी शोध किया है और कहते है कि "आप अगर किसी विचार पर अटक जाते है तो वही अटके मत रहिये ,दूसरा काम शुरू कर दीजिए।इस दौरान पहले  वाले काम का ख़्याल जेहन में जरूर आयेगा और गतिरोध दूर करने के उपाय भी।" वह यह भी कहते है कि किसी भी रचनात्मक विचार पर काम करते समय छोटे-छोटे ब्रेक अवश्य ले और ताजगी बनाये रखेगे और आप मल्टी-टास्किंग व्यक्तित्व का निर्माण करने में सफल हो सकेगें।

दीर्घकालिक सोच: सफलता की कुंजज

दीर्घकालिक सोच: सफलता की कुंजी  अध्ययनों से पता चला है कि सफलता का सबसे अच्छा पूर्वानुमानकर्ता “दीर्घकालिक सोच” (Long-Term Thinking) है। जो ...