अपने लक्ष्य पर ध्यान



♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️

          ! अपने लक्ष्य पर ध्यान !

एक बार की बात है। एक तालाब में कई सारे मेढ़क रहते थे। उन मेढ़कों में एक राजा मेंढक था। एक दिन सारे मेढ़कों ने कहा, क्यों न कोई प्रतियोगिता खेली जाए। तालाब किनारे एक पेड़ था। राजा मेंढक ने कहा कि “जो भी इस पेड़ पर चढ़ जाएगा, वह विजयी कहलाएगा।

सारे मेढ़कों द्वारा यह प्रतियोगिता स्वीकार कर ली गई और अगले दिन उस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता मैं भाग लेने के लिए सभी मेंढक तैयार थे। जैसे ही प्रतियोगिता शुरू हुई एक एक कर के उस पेड़ पर चढ़ने लगे। कुछ मेढ़क ऊपर चढ़ते गए और फिर फिसलते गए। फिर नीचे गिर जाते थे।

ऐसे ही कई मेंढक ऊपर चढ़ते रहे और फ़िसलते रहे और फिर नीचे गिर जाते। इसी बीच कुछ मेढ़क ने हार मान कर चढ़ना बन्द कर दिया। परंतु कुछ मेढ़क चढ़ते रहे, जो मेढ़क नहीं चढ़ पाए थे और छोड़ दिया था। वह कह रहे थे कि “इस पर कोई चढ़े ही नहीं पाएगा। यह असंभव है, असंभव है।”

इस पर कोई नहीं चढ़ सकता। जो मेंढक दोबारा चढ़ रहे थे, उन्होंने भी हार मान ली। परंतु उनमें से एक मेंढक लगातार प्रयास करता रहा। लगातार प्रयास करने के कारण अंत में वह पेड़ पर चढ़ गया और सभी मित्रों द्वारा तालियां बजाई गई और सबने उससे चढ़ने का कारण पूछा । उनमें से एक ने पीछे से एक ने कहा यह तो बहरा है, इसे कुछ सुनाई नहीं देता। उस बहरे मेंढक के एक दोस्त ने उससे पूछा तुमने यह कैसे कर लिया। उसने कहा मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मुझे लग रहा था कि नीचे खड़े यह लोग मुझे प्रोत्साहित कर रहे हैं कि तुम कर सकते हो। अब तुम ही हो तुम कर सकते हो और मैं आखिरकार इस पेड़ पर चढ़ गया।

सबने उसकी खूब तारीफ की और उसे पुरस्कृत किया गया।

शिक्षा:-
इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें सिर्फ अपने लक्ष्य पर केंद्रित होना चाहिए दुनिया क्या कहती है, उस पर ध्यान बिल्कुल नहीं देना चाहिए।

सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।
जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।
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मित्रता

मित्रता एक ऐसा संबंध है जो विश्वास, आपसी सम्मान और सहयोग पर आधारित होता है। मित्रों के साथ व्यवहार करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए:

1. ईमानदारी और पारदर्शिता – मित्रता में झूठ या छल-कपट नहीं होना चाहिए। जो भी कहें, स्पष्ट और सच्चा कहें।


2. समय और सम्मान दें – मित्रों की भावनाओं और समय का सम्मान करें। जब वे ज़रूरत में हों, तो उनकी सहायता करें।


3. स्वार्थ रहित मित्रता – मित्रता लेन-देन का रिश्ता नहीं है। अगर आप केवल स्वार्थ के लिए मित्रता रखते हैं, तो यह टिकाऊ नहीं होगी।


4. विश्वास और गोपनीयता बनाए रखें – मित्र आप पर भरोसा करें, इसके लिए ज़रूरी है कि उनकी बातें दूसरों से साझा न करें।


5. मित्रों की सफलता में खुश रहें – प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या से बचें। मित्रों की सफलता का आनंद लें और उनकी प्रगति में सहयोग करें।


6. समस्याओं को संवाद से हल करें – यदि किसी बात पर मतभेद हो, तो उसे खुलकर बातचीत के ज़रिए हल करें।


7. खुशियों और दुखों में साथ दें – सच्ची मित्रता वही होती है जो सिर्फ सुख में नहीं, बल्कि कठिन समय में भी साथ निभाए।


8. मित्रों को सही राह दिखाएँ – अगर मित्र गलत राह पर जा रहे हों, तो उन्हें विनम्रता से सही दिशा दिखाने की कोशिश करें।


9. स्वस्थ सीमाएँ बनाए रखें – मित्रता में स्वतंत्रता का सम्मान करें और अत्यधिक हस्तक्षेप से बचें।


10. हास्य और सकारात्मकता बनाए रखें – मज़ाक करें, हंसें और माहौल को खुशनुमा बनाए रखें, लेकिन कभी भी किसी की भावनाओं को ठेस न पहुँचाएँ।



अच्छे मित्र वही होते हैं जो जीवनभर एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं और एक-दूसरे के व्यक्तित्व को निखारने में मदद करते हैं।

भीम में 10000 हाथियों का बाल कहां से आया

महाभारत कथा दुर्योधन की चाल से भीम को मिला हजारों हाथियों का बल, जानिए पौराणिक कथा

महाभारत ग्रंथ (Mahabharat Katha) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना गया है। इस ग्रंथ में ऐसी कई कथाएं मिलती हैं जो किसी भी व्यक्ति को हैरत में डालने के लिए काफी हैं। आज हम आपको महाभारत में वर्णित एक ऐसा घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बाद भीम को 10 हजार हाथियों का बल मिल गया।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Thu, 10 Apr 2025 01:54 PM (IST)


Mahabharata Story दुर्योधन ने चली थी ये चाल।

HighLights

  1. वेदव्यास द्वारा रचित है महाभारत ग्रंथ।

  2. मिलता है कई अद्भुत कथाओं का वर्णन।

  3. महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं भीम।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। द्वापर युग में पांडवों और कौरवों के बीच एक भीषण युद्ध लड़ा गया था, जिसे हम सभी महाभारत युद्ध के नाम से जानते हैं। पांच पांडवों में से एक भीम को लेकर यह कहा जाता है कि उनमें 10 हजार हाथियों का बल था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें यह बल कैसे मिला। अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।

दुश्मनी का भाव रखता था दुर्योधन

महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार, दुर्योधन भीम से बचपन में ही बहुत ईर्ष्या करता था, क्योंकि भीम सभी खेलों में कौरवों को हरा देते थे। जब दुर्योधन ने सभी पांडवों समेत भीम को गंगा तट पर खेलने के लिए बुलाय। दुश्मनी की भावना के चलते दुर्योधन ने भीम के खाने में जहर मिला दिया, जिस कारण भीम अचेत हो गए। मौका पाकर दुर्योधन ने अपने भाई दु:शासन के साथ मिलकर भीम को गंगा में फेंक दिया।

जहर का असर हुआ कम

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भीम अचेत अवस्था में ही नदी के द्वारा नागलोक पहुंच गए। जब भीम को होश आया, तो उन्होंने पाया कि वह भयंकर सांपों से घिरे हुए हैं। सांपों के काटने के कारण भीम के शरीर से जहर का असर कम हो गया था। उन्होंने सांपों को मारना शुरू कर दिया, जिससे डरकर सभी सांप नागराज वासुकी के पास गए और उन्हें पूरी बात बताई। तब नागराज वासुकि, आर्यक नाग के साथ भीम के पास पहुंचे।

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(Picture Credit: Freepik) (AI Image)

आर्यक नाग के कारण मिला बल

तब आर्यक नाग भीम को पहचान गए और उनसे नागलोक आने की वजह पूछी। तब भीम ने उन्हें सारी बात बताई, जिसके बाद उन्होंने भीम को कुंडों का रस पिलाया था, जिसमें 10 हजार हाथियों का बल था। जब भीम वापस लौटा तो दुर्योधन को बहुत ही आश्चर्य हुआ।

पांडव भी भीम को वापस आते हुए देखकर काफी खुश थे और यह महसूस कर सकते थे कि भीम अब पहले से अधिक बलवान नजर आ रहे हैं। सभी अचरज में पड़ गए कि यह चमत्कार कैसे हुआ।


अपने लक्ष्य पर ध्यान

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