मल्टी-टास्किंग व्यक्तित्व का निर्माण

      बहु कार्यण अर्थात मल्टी-टास्किंग आधुनिक शब्दावली है जिसका सामान्य अर्थ है एकल कम्प्यूटर प्रोसेसर द्वारा  एक से अधिक प्रोग्राम या कार्य का एक साथ निष्पादन। अब बात आती है   मानव मल्टी-टास्किंग  क्या है मानव मली-टास्किंग एक ही समय में एक से अधिक कार्य या गतिविधयां निष्पादित करने के लिए एक स्पष्ट मानवीय क्षमता से है। इसका सबसे सुुुडर उड़ााहरण है विधाााल की समय सारणी

    आज के दौर में यह मल्टी-टास्किंग शब्द मानव व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है।मल्टी-टास्किंग को ले कर आज हम सब के मस्तिष्क में एक प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या हमें अपने व्यक्तित्व को मल्टी-टास्किंग बनाना चाहिए? या एक समय मे एक ही कार्य करना चाहिए?
         वर्तमान समय मे मानवीय जीवन की आवश्यकताए अधिक हैऔर समय कम ।पुराने समय में जीवन की रफ्तार धीमी थी और व्यक्ति अपने कार्यो को आराम से पूरा करते थे।उस समय बच्चों को शिक्षा दी जाती थी  "एकै साधै सब सधै,सब साधे सब जाय" और  "दो नाव की सवारी करना टाँग फाड़ कर मरना"  उस समय मल्टी-टास्किंग की जरूरत नहीं थी। इसी लिए उन्होंने इस कार्य शैली को नही अपनाया।
            वर्तमान समय में सब कुछ बदल चुका है।नई पीढ़ी के पास सीमित समय में अनेक कार्य है जिनकी अपनी समय सीमा है।उसी समय सीमा में उनको पूर्ण करना है ताकि वह अपनी पीढ़ी की श्रेष्ठता को सिद्ध कर सके।इसी कारण छोटी सी उम्र में उनके अंदर मल्टी-टास्किंग की क्षमता सहजता के साथ विकसित होकर उनके व्यक्तित्व को बहुआयामी स्वरूप प्रदान कर सके।
      मनोचिकित्सक एडवर्ड एम तथा हॉलोवेल ने मल्टीटास्किंग को "पौराणिक गतिविधि के रूप में वर्णन करने के लिए माने जाते हैं जिसमें इन लोगों का मानना ​​है कि वे एक साथ दो या दो से अधिक कार्य एक साथ प्रभावी रूप से कर सकते हैं।"
     
दूसरों ने विशिष्ट डोमेन में मल्टीटास्किंग पर शोध किया है, जैसे कि सीखना। मेयर और मोरेनो  ने मल्टीमीडिया लर्निंग में संज्ञानात्मक भार की घटना का अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि मल्टीटास्किंग में संलग्न रहते हुए नई जानकारी सीखना मुश्किल नहीं तो कठिन जरूर है। Junco और Cotten ने जांच की कि मल्टीटास्किंग अकादमिक सफलता को कैसे प्रभावित करती है और पाया कि जो छात्र मल्टीटास्किंग के उच्च स्तर पर लगे हुए थे,उन्होंने अपने शैक्षणिक कार्य के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों की सूचना नहीं दी।
     शैक्षणिक प्रदर्शन पर मल्टीटास्किंग के प्रभावों के बारे में हाल ही के एक अध्ययन में पाया गया कि अध्ययन करते समय फेसबुक और टेक्स्ट मैसेजिंग का उपयोग छात्र ग्रेड से नकारात्मक रूप से संबंधित था, जबकि इनमें ऑनलाइन खोज और ईमेलिंग नहीं थे।
      मल्टीटास्किंग करते समय व्यक्ति का दिमाग़ पूरी तरह से ध्यान केंद्रित नहीं कर पता है और उस कार्य को पूरा करने में निर्धारित समय से अधिक समय लगता हैं और गलतियां पूर्वनिर्धारित हैं। जब किसी व्यक्ति के द्वारा एक समय में कई कार्यों को पूरा करने का प्रयास किया जाता हैं, तो  त्रुटियां तेजी से बढ़ जाती हैं, और यह अधिक समय लेता है - अक्सर समय को दोगुना या उससे अधिक कर देता है।  मेयर और डेविड कीरस के एक अध्ययन में पाया गया कि  मल्टीटास्किंग लोग न केवल प्रत्येक कार्य को कम उपयुक्त ढंग से करते हैं, बल्कि प्रक्रिया में समय गंवाते हैं।
        नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के संज्ञानात्मक तंत्रिका विज्ञान खंड के प्रमुख, जॉर्डन ग्राफमैन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, "मस्तिष्क जटिल है और कार्यों का असंख्य प्रदर्शन कर सकता है, यह अच्छी तरह से मल्टीटास्क नहीं कर सकता है।"
     वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के एक मनोवैज्ञानिक रेने मैरोस द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में पता चला है कि एक बार में कई कार्यों को करने के लिए कहा जाने पर मस्तिष्क "प्रतिक्रिया चयन अड़चन" प्रदर्शित करता है। मस्तिष्क को यह तय करना होगा कि कौन सी गतिविधि सबसे महत्वपूर्ण है, जिससे अधिक समय लगेगा।
     कुछ शोध बताते हैं कि मानव मस्तिष्क को मल्टीटास्क के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता ।हालांकि, अध्ययन से यह भी पता चलता है कि व्यापक प्रशिक्षण के बाद भी मस्तिष्क एक समय में कई कार्य करने में असमर्थ होता है।यह अध्ययन आगे इंगित करता है कि, जबकि मस्तिष्क प्रसंस्करण में निपुण हो सकता है और कुछ सूचनाओं पर प्रतिक्रिया कर सकता है, यह वास्तव में मल्टीटास्क नहीं हो सकता है।

          लोगों में जानकारी को बनाए रखने की एक सीमित क्षमता होती है, जो जानकारी की मात्रा बढ़ने पर बिगड़ जाती है। इस कारण से, लोग इसे और अधिक यादगार बनाने के लिए जानकारी में परिवर्तन करते हैं, जैसे कि दस अंकों वाले फोन नंबर को तीन छोटे समूहों में अलग करना या वर्णमाला को तीन से पांच अक्षरों के सेट में विभाजित करना। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पूर्व मनोवैज्ञानिक, जॉर्ज मिलर का मानना ​​है कि मानव मस्तिष्क की क्षमता केंद्रों की सीमा "संख्या सात, प्लस या माइनस दो" के आसपास है। उदाहरण  के लिए दो या तीन नंबर आसानी से दोहराए जाते हैं, पंद्रह नंबर अधिक कठिन हो जाते हैं। व्यक्ति, औसतन, सात को सही ढंग से दोहराता है।
    मल्टी-टास्किंग के प्रयोगशाला-आधारित अध्ययनों से संकेत मिलता है कि कार्यों के बीच किसी एक को छोड़ने के लिए एक प्रेरणा उस कार्य पर खर्च किए गए समय को बढ़ाना है जो सबसे अधिक पुरस्कार (पेन्ने, डुग्गन एंड नेथ, 2007) का उत्पादन करता है। यह पुरस्कार एक समग्र कार्य लक्ष्य की दिशा में प्रगति कर सकता है, या यह बस एक अधिक दिलचस्प या मजेदार गतिविधि को आगे बढ़ाने का अवसर हो सकता है। पायने, डुग्गन और नेथ (2007) ने पाया कि लक्ष्य को छोड़ने के फैसले या तो वर्तमान कार्य द्वारा प्रदान किए गए पुरस्कार या कार्य को छोड़ने के लिए एक उपयुक्त अवसर की उपलब्धता को दर्शाते हैं।
  मल्टी-टास्किंग एक गुण है जिसे पैदा किया जा सकता है लेकिन निम्नलिखित बातों का अनुसरण करके :-
 
1-  प्राथमिकता निर्धारित करना:-
         मल्टी-टास्किंग व्यक्तित्व पैदा करने के लिए यह जरूरी है कि व्यक्ति अपने जरूरी कार्यो की सूची प्राथमिकता के आधार पर तय करे ताकि सभी कार्य समय पर पूर्ण हो सके।
2-  समय-सीमा :-
          प्रत्येक कार्य के लिए एक समय सीमा निर्धारित  कर ताकि एक काम पर अधिक समय व्यय कर दूसरे को नज़र अंदाज़ न कर दे। मल्टी-टास्किंग के लिए समय प्रबन्धन एक अनिवार्य शर्त है।

3-केंद्रित होना :-   
         जिस प्रकार दो नावों की सवारी हो या,दो हाथों से 3 गेंदों को संतुलित कर पाना कठिन होता है।इस लिए यह जरूरी है कि प्राथमिकता तय करते हुए मुख्य कार्य पर केंद्रित हो और दिमाग़ को उसी कार्य के अनुरूप मुख्यरूप से प्रशिक्षित करें और अतिरिक्त समय में अन्य कार्य पर केंद्रित हो।
4-एक से दूसरे में जाना :-
        यदि आपके काम में एक साथ कई सारे कार्यो को  नियमित रूप से करने की ज़रूरत होती है तो अपने मस्तिष्क को उन कार्यो के साथ तालमेल बिठाने के लिए खुद को प्रशिक्षित करें. अध्ययन बताते हैं कि एक सीमा तक यह कर पाना संभव है. “जब तक कि आप कोई ऐसा कार्य न कर रहे हों, जिसमें अपना 100 प्रतिशत ध्यान लगाना हो तो एक सीमा तक यह कर पाना सम्भव होता है. हमारी सलाह है कि आप अपने मस्तिष्क को एक काम से दूसरे की ओर जाने के लिए प्रशिक्षित करना शुरू करें. इसे करने का एक तरीक़ा है कि आप एक ही समय में तीन अलग-अलग किताबें पढ़ें।

4-  जरूरी (urgent )महत्वपूर्ण ( important) में अंतर स्पष्ट कर:-


        कार्यो को जरूरी और महत्वपूर्ण के हिसाब से श्रेणीबद्ध करते हुए करे।

  मल्टी-टास्किंग के दुष्परिणाम
1-असावधानी
       एक अध्ययन के अनुसार ड्राइविंग करते समय सेलफोन का उपयोग दुर्घटना होने की संभावना को 4 गुना बढ़ा देता है।
2-उत्पादकता को कम करती है

  लुसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक प्रो.एमिली इलियट इस तथ्य पर जोर देती है कि किसी भी तरह की मल्टी-टास्किंग उत्पादकता को कम करती हैऔर त्रुटियों की दर बढ़ाती है,इस प्रकार अनावश्यक निराशा उत्पन्न करती है।  मल्टीटास्किंग के गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। कई अध्ययनों में यह बात साबित की जा चुकी है कि मल्टीटास्किंग कार्यकुशलता को प्रभावित करती है, काम का दबाव बढ़ता है और तनाव भी उत्पन्न होता है। यहां तक कि हमेशा मल्टीटास्किंग होना किसी व्यक्ति के इंटैलिजेंस क्योशेंट (आईक्यू) को कम कर देता है। वर्ष 2005 में एक आईटी कंपनी में कार्यस्थल व्यवहार पर अध्ययन किया गया। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के कंप्यूटर साइंस के इंफॉरमेटिक्स विभाग के प्रोफेसर ग्लोरिया मार्क द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार बीच में छोड़े हुए काम पर दोबारा फोकस बनाने में 25 मिनट का समय लगता है। वर्ष 2008 में बिजनेस कोच डवे क्रैनशॉ की प्रकाशित पुस्तक "द मिथ ऑफ मल्टीटास्किंग" के अनुसार, ‘एक साथ सब काम करने का मतलब है किसी भी काम का पूरा नहीं होना।’ स्टैनफोर्ड के अनुसार शोधों से पता चलता है कि "सिंगल-टास्किंग मल्टी-टास्किंग की तुलना में अधिक प्रभावी और उत्पादक है।" अब ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि कार्यस्थल पर हमें कई काम करने होते हैं। सभी को पूरा करने के लिए अलग-अलग जरूरते होती हैं, जटिलता का स्तर होता है और आपको अलग-अलग समय देना जरूरी होता है। ऐसे में ऑफिस में आप कैसे एक समय में कई काम कर सकते हैं?
    लेकिन नये अध्ययन कहते हैं कि आमयबी चाहिए तो एक सोच पर ठहर कर न बैठे।आउट ऑफ बॉक्स आइडिया अक्सर तभी जन्म लेते जब सोच में भटकाव होता है।
    कई वैज्ञानिक अन्य चीजों पर काम करते करते किसी दूसरी चीज से जुड़े  और नया आविष्कार कर बैठे। मनोवैज्ञानिक मानते है कि जब हम किजी एक सोच पर काम   करते है तो काम लम्बा खिंचता है और सन्तोषजनक नही होता।इसे मनोविज्ञान की भाषा में "कांग्नेटिव फिक्सेशन" कहते है। हाँगकाँग विश्विद्यालय के प्रोसेसर उतेन स्यू ने इस पर काफी शोध किया है और कहते है कि "आप अगर किसी विचार पर अटक जाते है तो वही अटके मत रहिये ,दूसरा काम शुरू कर दीजिए।इस दौरान पहले  वाले काम का ख़्याल जेहन में जरूर आयेगा और गतिरोध दूर करने के उपाय भी।" वह यह भी कहते है कि किसी भी रचनात्मक विचार पर काम करते समय छोटे-छोटे ब्रेक अवश्य ले और ताजगी बनाये रखेगे और आप मल्टी-टास्किंग व्यक्तित्व का निर्माण करने में सफल हो सकेगें।

अपने लक्ष्य पर ध्यान

♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️           ! अपने लक्ष्य पर ध्यान ! एक बार की बात है। एक तालाब में कई सारे मेढ़क रहते थे। उन मेढ़कों में एक राजा मेंढ...